जब भी कश्मीर की बात होती है कश्मीरी पंडितों का ज़िक्र आता है. यह सच है कि 1990 में कश्मीर में रह रहे लाखों पंडितों को अपना घर और राज्य छोड़ना पड़ा, जो लोग सदियों से साथ रह रहे थे, उनके साथ ये हालात क्यों आए, ये अलग बात है, लेकिन कश्मीरी पंडितों की तकलीफ़ जायज़ है. उनके भीतर अब भी अपनी वापसी का खयाल सिर उठाता है. अब जब उन्होंने धारा 370 ख़त्म होने की ख़बर सुनी तो जश्न मनाने लगे. पक्ष-विपक्ष में आज यही जानने की कोशिश है कि आखिर कश्मीरी पंडितों का इस फैसले पर क्या कहना है?