नोटों की परेशानी ने मुंबई की रफ्तार धीमी कर दी है. सड़कों पर ट्रैफिक कम है और खुदरा बाज़ारों में भीड़ कम. ऐसा लग रहा है कि हर कोई नोट बदलने में ही मशगूल है. नोटों की किल्लत ने सिनेमाघरों को जितना परेशान किया उस से ज्यादा थिएटर्स को किया है. बुधवार से हर दिन नाटकों के शोज रद्द हो रहे हैं. ड्रामा इंडस्ट्री को हर दिन 10 लाख का नुकसान उठाना पड़ रहा है. जानकार कहते हैं की, शहर की सुस्त पड़ी चाल को रफ़्तार पकड़ने के लिए अगले हफ़्ते तक रुकना होगा.