ग्रेटर नोएडा की हरे भरे किनारों वाली चौड़ी सड़कों को देख कर लगता है कि किसी अंतरराष्ट्रीय शहर में आ गए हैं। हालांकि, शहर होकर भी यहां गांवों सा सन्नाटा दिखता है…ना तो सड़कों पर गाड़ियों की वह भीड़ है जो एक विकसित शहर में होनी चाहिए…..और ना ही यहां के बस स्टॉप पर चहल पहल। आखिर क्यों सुनसान पड़ा है यह शहर?