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मिशन 2019: विधानसभा चुनाव की टक्कर

  • 15:08
  • प्रकाशित: अक्टूबर 09, 2018
मी टू अभियान के तहत महिला पत्रकारों ने अपने यौन शोषण की दास्तां को सार्वजनिक किया तो सबसे पहले मुंबई प्रेस क्लब ने स्टैंड लिया. 6 अक्तूबर को बयान जारी कर कहा कि वह महिला पत्रकारों के साथ है और जिन पर आरोप लगे हैं उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. मुंबई प्रेस क्लब ने कहा कि इस मुद्दे पर समाधान का रास्ता निकालने के लिए विस्तार से बहस होनी चाहिए. जिसके लिए वह कई कार्यक्रम करने की सोच रहा है. दिल्ली की Indian Women's Press Corps ने भी बयान जारी कर सेक्सुअल हैरसमेंट की बात पब्लिक में लाने वाली पत्रकारों को अपना समर्थन दिया है. नेटवर्क ऑफ वीमेन इन इंडिया की सदस्य नेहा दीक्षित ने कहा कि सेक्सुअल हरासमेंट सिर्फ फिजिकल नहीं होता है. अगर 2013 की लॉ आप पढ़ेंगे तो उस मे लिखा हुया है कि सेक्सुअल हरासमेंट वह भी होता है, अगर आप को आपत्तिजनक चीज दिखाई गई. या फिर इस तरह की सेक्सुअल भाषा मे बात की गई या पावर स्ट्रक्चर के समय मे आप से कोई सेक्सुअल फेवर मांगा गया या आप के साथ कोई ऐसा जोक किया गया जो न्यूज़ रम में बहुत होता है.

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