कई बार बहसों का पैमाना समझ नहीं आता है। अगर यूपी चुनाव के मद्देनजर महेंद्रनाथ ब्राह्मण कोटे से बने हैं तो मोदी मंत्रिमंडल में पहले से इतने ब्राह्मण हैं कि उन्हें लेकर समीक्षा की जा सकती है कि ये दिग्गज ब्राह्मणों की अखिल भारतीय राजनीतिक महत्वकांक्षा को तुष्ट क्यों नहीं कर पाते हैं। इनके रहते महेंद्रनाथ पांडे की ज़रूरत क्यों पड़ती है।