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रवीश कुमार का प्राइम टाइम : JNU/JAMIA की हिंसा के ख़िलाफ़ देश की यूनिवर्सिटी में फैलती बग़ावत

  • 35:56
  • प्रकाशित: जनवरी 08, 2020
सेंट स्टीफेंस कॉलेज के छात्र प्रदर्शन करते हुए अपने कॉलेज से निकल कर दिल्ली यूनिवर्सिटी में हुए मार्च में जाकर घुल मिल गए. नागरिकता संशोधन कानून, नागरिकता रजिस्टर के विरोध में निकले इस मार्च का बड़ा मकसद जेएनयू, जामिया मिलिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में हुई पुलिस हिंसा और नक़ाबपोश गुंडों की हिंसा का विरोध भी था. सेंट स्टीफेंस को अलग से रेखांकित करने का एक मकसद है. सेंट स्टीफेंस की गोदी मीडिया ब्रांडिंग नहीं कर सकता है. आप उन छात्रों की ब्रांडिंग किस कैटगरी में करेंगे जो 99 प्रतिशत अंक लाकर सेंट स्टीफेंस में एडमिशन पाते हैं. ज़ाहिर है वे पढ़ाई ही करते होंगे. लेकिन जब पुलिस इस तरह घुस कर यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी में मारे और जेएनयू के हॉस्टल में नकाबपोश गुंडे चले आएं तभी पढ़ाई का लेक्चर क्यों दिया जाता है. ये लेक्चर क्यों नहीं दिया जाता है कि हिंसा में शामिल नक़ाबपोश पर कार्रवाई हो. सोचिए, अब कोई सवाल ही नहीं कर रहा है कि दिल्ली पुलिस गृहमंत्री अमित शाह के तहत आती है और रविवार से लेकर बुधवार आ गया मगर एक भी नक़ाबपोश गुंडा नहीं पकड़ा गया. वे कैमरों में जेएनयू से निकलते हुए देखे जा रहे हैं, हास्टल में मारते हुए देखे जा रहे हैं, कैंपस में लाठी डंडे के साथ खड़े देखे जा रहे हैं तब भी अभी तक एक की गिरफ्तारी नहीं हुई है.

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