मजदूरों के लिए घर जाना इतना आसान नहीं है. सरकारों ने यह बता दिया है कि घर जाने से पहले स्क्रीनिंग और रजिस्ट्रेशन की यातनाओं से गुजरना ही पड़ेगा. स्क्रीनिंग सेंटर, रेलवे स्टेशन के बाहर से आने वाली तस्वीरें बता रही हैं कि स्क्रीनिंग के नाम पर नौटंकी ज्यादा हो रही है. देह से दूरी, 2 गज की दूरी के तमाम सिद्धांत हवा में छोड़ दिए गए हैं, जिनकी धज्जियां उड़ रही हैं. ऐसा लगता है जैसे सिस्टम ने भी सब कुछ राम भरोसे छोड़ दिया है. जब शहरों से अपने घर मजदूर लौट रहे हैं तो वहां पर संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ रही है.