जून के 22 दिन बीत चुके हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दो दिन प्रेस कांफ्रेंस की है, जबकि अप्रैल के महीने में 26 दिन प्रेस कांफ्रेंस हुई थी. क्या कोविड-19 से संबंधित सूचनाएं इतनी महत्वहीन हो गई हैं. महामारी तो अब तक गई नहीं है. मुमकिन है कि कोई कोविड-19 से संबंधित सूचनाओं का कब तक पीछा करे. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि कोविड-19 ने आपका पीछा करना छोड़ दिया है. बेशक शुरू से ही इससे संबंधित खबरें थोड़ी बोरिंग थी, इसलिए इसमें मीडिया ने धर्म का तड़का लगाया. सबको मजा आया इसमें. घेरा-घेरी हुई. सजा किसने भुगती. एक गरीब सब्जी वाले ने. लेकिन उससे हासिल क्या हुआ? तालाबंदी के बाद करीब-करीब तीन महीने बीत चुके हैं. क्या हमें बीच-बीच में इसकी समीक्षा नहीं करनी चाहिए कि हमने सामाजिक तौर पर, संस्थानिक तौर पर इस महामारी को कितना समझा है.